प्रथम उद्गगार

 बहुत दिनों से ब्लॉग की शरुआत की इच्छा थी ,पर आदतन आलसी होने या अस्त-व्यस्त कार्यशैली के कारण इसे मूर्त रूप नहीं दे सका था।किंचित सभी कुछ नियति द्वारा पूर्व निर्धारित होता है। सही वक्त आने पर चिर विलम्बित कार्य भी अत्यंत सहजता से सम्पन्न हो जाते हैं।अपने महाविद्यालय (गांधी महाविद्यालय, उरई)में आयोजित कार्यशाला के अंतिम दिन 5 नवम्बर को सहकर्मी प्राध्यापक कुमारेन्द्र जी ने सभी को ब्लॉग सृजित करने के लिए प्रेरित किया।मुझे यह स्वीकारने में जरा भी हिचक नहीं कि मैं शायद अभी भी सक्रिय नहीं होता ,किन्तु उन्होंने सभी साथियों से ब्लॉग के बारे में जानकारी मांगकर एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा उत्पन्न कर दी और मेरा यह सृजन उसी की देन है।

       ब्लॉग बनाने में पहली दुविधा सटीक नाम चयन की रही।इसे कैसे विचार की अभिव्यक्ति का मंच बनाया जाय-राजनीतिक, सामाजिक, भौगोलिक या साहित्यिक?ब्लॉग के नाम सीमा नहीं हो,बल्कि विस्तार हो और विविध विषयों को समाहित करने की असीम क्षमता भी हो।अंततः, विचार मंच नाम सर्वाधिक उपयुक्त लगा।अब मंच/प्लेटफार्म तैयार है।कामना है, माँ शारदे की इतनी कृपा बनी रहे कि इस विचार मंच से मैं मित्रों, पाठको व विद्यार्थियों के लिए रोचक,मनोरंजक, प्रेरणादायक व ज्ञानवर्धक सामग्री प्रस्तुत कर सकूं।

          कुमारेन्द्र जी के श्लाघ्य प्रयास से कई मित्र नए ब्लॉगर बने हैं।अपेक्षा है, खूब अच्छे-अच्छे पोस्ट पढ़ने को मिलेंगे।

चलते -चलते-

मन का हो तो अच्छा, मन का न हो तो ज्यादा अच्छा

                                          -हरिवंश राय बच्चन

शुभ रात्रि



 



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